एकांतता के अधिकार पर डंक
अभी हाल में एक टी ० वी ० चैनल द्वारा बॉलीवुड के बड़बोले और खलनायक की भूमिका में दक्षता प्राप्त कलाकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी युवती को सिनेमा के रुपहले पर्दे पर पैठ बनाने के जिन ‘ गुरुमंत्रों का खुलासा किया गया,उससे सकते की स्थिति है ।छिपे हुए वीडियो कैमरे के सामने एक लालसा भरी युवती को हीरोइन बनाने के लिए हमबिस्तर होने की शर्त रखी गई तथा कई नामी-गिरामी हीरोइनों का नाम लेकर यह स्थापित करने का प्रयास किया गया कि सुनहरे रजत-पट पर आने के लिए यही एक मात्र रास्ता है जिसे सभी पार करते हैं । प्रसिद्ध निदेशकों पर अपना रुतबा जमाते हुए यह भी आश्वासन दिया गया कि उनकी सिफारिश वाली लड़की को कोई ग़लत अंदाज में नहीं देखेगा तथा इंडस्ट्री के चक्रव्यूह के दरवाज़े खुद-ब-खुद खुलते चले जाएँगे ।प्रायः आधा घण्टे के इस एपीसोड में वे दोनों एक कमरे में अकेले बतियाते रहे । वहाँ शराब भी पी गई तथा फ़िल्म इंडस्ट्री के ठेकेदार का दम भर रहे उक्त कलाकार ने नवयुवती को आगोश में लेकर चुम्बन लिया तथा शारीरिक सम्बन्ध बनाने का असफल प्रयास किया ।
टी ० वी ० चैनल पर इस घटना के दिखाने के कुछ ही दिन पहले एक अन्य टी ० वी ० चैनल ने विज्ञापनों के लिए बनने वाली फिल्मों में नई लड़कियों को मॉडल्स के तई मौका देने के लिये शारीरिक सम्बन्ध बनाने की माँग करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया था ।चैनल से प्रसारित होने के बाद सेक्स के भूखे उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया ।अभी हाल में एक अन्य टी ० वी ० चैनल द्वारा दिल्ली के बिक्रीकर विभाग में अस्सी से अधिक कर्मचारियों तथा अधिकारियों को खुले आम रिश्वत के रुपये गिनकर जेब में रखते हुए दिखलाया गया जिस पर राज्य सरकार की किरकिरी हुई थी तथा किंकर्तव्यविमूढ़ एवम् ठगी सी मुख्य मंत्री ने कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया।फलस्वरूप कइयों पर गाज गिरी और बहुतों के सिर पर दंडात्मक कार्यवाही की तलवार लटक रही है ।पुलिस वालों को वसूली करते,परीक्षार्थियों को नकल कराते तथा सूनामी जैसी आपदा में भी राहत सामग्री की चोर-बाजारी कराने की घटनाओं को बुद्धू बक्से में प्रायः रोज़ ही देखा जा सकता है ।
पिछली एन ० डी ० ए ० सरकार के कार्यकाल में रक्षा सौदों में दलाली तथा रिश्वतखोरी की पोल खोलते “तहलका “टेपों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने टी ० वी ० दर्शकों के लिए जानकारी पाने के नए अध्याय खोले थे । तहलका मचने पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पद छोड़ना पड़ा था तथा तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीज ने भी पद से इस्तीफ़ा दे दिया था ।बाद में वे मंत्रिमंडल में वापस आ गए लेकिन विपक्ष ने उन्हें लोकसभा की बाक़ी अवधि में सुनने से इनकार कर दिया था ।थोड़े ही दिनों बाद एक अन्य मंत्री को माइनिंग लीज देने के लिए रिश्वत स्वीकारते हुए दिखलाया गया ।बाद में खुलासा हुआ कि इस काण्ड को टेप कराने में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री के बेटे का हाथ था ।
ऐसे एपिसोडों के प्रदर्शन को जहां न्यूज़ चैनल ‘ स्टिंग ऑपरेशन ‘(डंक मार कार्यवाही) कहते हैं और आम जनता के ‘ जानने के अधिकार ‘ की दुहाई देकर अपने कृत्य को न्यायोचित ठहराते हैं वहीं व्यथित व्यक्ति अपने एकान्तता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का उल्लंघन कहते हैं ।मीडिया नीतिशास्त्र का हवाला देकर किसी की प्राइवेट जिंदगी में सेंध लगाने के कृत्य को अनुचित करार दिया जाता है ।दलील दी जाती है कि किसी की व्यक्तिगत जिंदगी के किसी पहलू को उजागर करने से पूर्व उसकी अनुमति अवश्य ली जानी चाहिए ।
उक्त ताजातरीन मामले में अपना बचाव रखते हुए पुरुष कलाकार ने आरोप लगाया है कि नवयुवती पिछले छह महीने से उससे संपर्क में थी ।घटना के समय एक पंचसितारा होटल में उसे अनुनय-विनय करके बुलाया गया जहां शराब पिलाकर उससे जाने-अनजाने वह सब कहला लिया गया जो वह होशोहवास में नहीं कहता ।पुरुष कलाकार का यह भी कहना है कि सम्पूर्ण घटना के टेप की काँट-छाँट करके उसके ख़िलाफ़ जाने वाले अंश ही प्रसारित किए गए हैं ।यह भी कहा गया कि अकेले बंद कमरे में शराब तथा नवजवान स्त्री के साथ कोई भी पुरुष ऐसा ही व्यवहार करेगा तथा उकसाने के लिए वह पत्रकार भी बराबर का दोषी है ।पुरुष कलाकार ने घटना का होना स्वीकार कर लिया है और नशे में बहक कर जिन निदेशकों तथा स्त्री कलाकारों के बारे में अवमानजनक शब्द कहे हैं,उसके लिए दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगी है तथा टी ० वी ० चैनल के खिलाफ़ कानूनी कार्यवाही की धमकी दी है ।
घटना के प्रसारित होने पर जहां कुछ कलाकारों ने उनके बहिष्कार का एलान किया है वहीं कुछ उनके समर्थन में भी उतरे हैं ।मीडिया के इस कृत्य को जहां एक ओर ‘ पीत पत्रकारिता ‘ का उदाहरण माना जा रहा है वहीं बचाव करने वालो का कहना है कि पुलिस वाले भी कॉलगर्ल्स, वैश्यावृत्ति, जुआं, नाजायज शराब के अड्डों आदि का भंडाफोड़ करने हेतु फर्जी ग्राहक बनकर जाते हैं तथा अपराधियों को रंगे हाथों गिरफ्तार करते हैं ।पत्रकारों का एक वर्ग यह भी मानता है कि डंक मारने वाली कार्यवाहियाँ वहीं होनी चाहिये जहाँ जनता के बृहत्तर हित हों तथा सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हो रहा हो ।
प्रमोशन,विदेश भ्रमण,कार्यक्षेत्र में बेहतर अवसर तथा अतिरिक्त लाभ पाने के लिये स्त्री कर्मकारों द्वारा अपने को समर्पित करने के किस्से यदा-कदा अखबारों की सुर्खियां बनते हैं ।सिने जगत तथा मॉडलिंग की दुनिया में नई लड़कियों के देह शोषण के किस्से भी आम हो चुके हैं ।विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में शिष्याओं के यौन शोषण के समाचार पढ़ कर हमारा सिर
शर्म से झुक जाता है ।कार्य-क्षेत्र में महिला कर्मियों के साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष यौन उत्पीड़न के इतने प्रकरण हुए कि उच्चतम न्यायालय ने इसमें हस्तक्षेप कर इस पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने पर ज़ोर दिया है ।
बॉलीवुड में जगह पाने के लिए स्वयं को पेश करने की सलाह देने वाले उक्त वर्णित प्रकरण में आरोपों प्रत्यारोपों के बीच सत्यता का पता चल पाना आसान नहीं है ।वीडियो टेप की काट-छाट की गई या नहीं,यह बता पाना तो मुश्किल है लेकिन एक तथ्य नकारा नहीं जा सकता कि युवती पत्रकार पिछले कई दिनों से पुरुष कलाकार के समीप आने का प्रयास कर रही थी तथा उसे तो यह पता था कि बगल के कमरे से इसकी रिकॉर्डिंग की जा रही है ।निश्चय ही वह अपने बोलने-करने में सजग,सतर्क और नियंत्रण में थी जबकि पुरुष कलाकार इन बातों की कल्पना तक से अनभिज्ञ था,अतः एक सामान्य पुरुष की तरह से बर्ताव कर रहा था ।
एकांतता के अधिकार में प्रत्येक को अपने शरीर,परिवार ,विवाह,बच्चों आदि की सूचना सुरक्षित रखना शामिल है ।एक सार्वजनिक व्यक्ति की इन सूचनाओं पर उसका भी एकाधिकार नहीं रहता तथा उसका यह दावा युक्ति-युक्त नहीं है कि उसके बारे में वही प्रकाशित-प्रसारित किया जाय जो वह ठीक समझे ।इसी प्रकार ‘ जानने के अधिकार में किसी की प्राइवेट ज़िन्दगी में ताकने-झांकने का अधिकार शामिल नहीं है ।उच्चतम न्यायालय ने यह निर्धारित किया है कि एक दुष्चरित्र स्त्री को भी एकांतता का मौलिक अधिकार है तथा पुलिस वालों को गाहे-बगाहे उसके यहाँ जाकर उसकी उपस्थिति लगाने का अधिकार नहीं है ।