Thursday 29 September 2016

शिशु प्रजनन में 'तीसरे ' की भूमिका



मैक्सिको में एक  ऐसे शिशु का जन्म हुआ है जिसमे तीन लोगों के डी एन ए  मौजूद हैं।  दरअसल शिशु की माँ के अंडाणुओं में ऐसे जीन्स थे जिनके कारण  उन्हें संतति सुख नहीं मिल पा रहा था।  बीस वर्षों के प्रयास के बाद वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से शिशु प्रजनन में सफलता पाई है। 

 इस तकनीक में स्त्री के अंडाणु(एग) के न्यूक्लिएस  (केंद्र  ) को निकाल कर डोनर स्त्री के एग के न्यूक्लिएस से प्रतिस्थापित कर दिया गया था।  फिर पति के शुक्राणु से निषेचित कर पत्नी के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया गया।  फलस्वरूप एक पूर्ण विकसित स्वस्थ शिशु ने जन्म लिया जो पांच  महीने  का हो गया है।  वैज्ञानिक इस प्रयोग से उत्साहित हैं तथा कहा जा रहा है कि 'टेलर मेड ' बेबी पाने की राह में यह एक बड़ी सफलता है। 

कयास लगाए जा रहे हैं कि भविष्य में इस तकनीक से मनचाही संतान भी मिल सकेगी।  डॉक्टर,इंजीनियर , वकील, वैज्ञानिक, फौजी आदि मनचाही संतान पाने के लिए इसी प्रकार स्त्री के एग और पुरुष के शुक्राणु में आवश्यक परिवर्तन करके आजीवन रोगमुक्त तथा सब प्रकार से सक्षम संतान पाई जा सकेगी। 

मेडिकल साइंस तथा जेनेटिक इंजीनियरिंग में विकसित हो रहे अनुसंधानों ने पुरुष -स्त्री संबंधों, परिवार  तथा सामाजिक मान्यतायों पर नए सिरे से विचार करने तथा तथा विधि प्रतिपादित करने की प्रेरणा दी है। एक शिशु पर दो मांओं  या दो से अधिक पिताओं को आगे आने पीढ़ी कैसे आत्मसात करेगी यह रोचक और रोमांचक होगा।  नीति , नैतिकता तथा मर्यादा की नई इबारत लिखनी होगी तथा मैरिज,मेंटेनेंस तथा सक्सेशन के नए कानून पास करने होंगे।